Sunday, January 28, 2024

"मां बालकुमारी: देवी की कृपा और भक्तों की श्रद्धा"



 

माँ बालकुँवारी

देवी शक्ति (मां पार्वती) के नाम पर, बालकुवारी नाम का एक मंदिर उन्हें समर्पित है। यह मंदिर पौडी गढ़वाल से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है


 

 










मा  बाल कुवारी की पूजा 3 दिन तक होती है। जिसमे पहले दिन कलश यात्रा दूसरे दिन झंडा कटाई एंव दिशा बंधन और तीसरे दिन 
मंदिर मे हवन और भंडारे का आयोजन किया जाता है।
कलश यात्रा - कलश लोग मुख्य रूप से पारंपरिक कलश धर्म के अनुयायी हैं जो प्राचीन हिंदू धर्म के साथ मिश्रित जीववाद और पूर्वज परंपरा का एक रूप है।
कलश यात्रा में हमें श्रद्धालु मिलते हैं, जिनमें ज्यादातर महिलाएं होती हैं। वे बड़ी संख्या में प्रार्थना करने के लिए एक साथ आगे बढ़ते हैं, वे सिर पर पूर्ण कलश रखते हैं और हमारे देश में कई स्थानों पर भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए मंदिर की ओर मार्च करते हैं।














🌸 माँ बालकुवारी की महिमा: जब नई पीढ़ी ने थामा परंपरा का ध्वज, और गाँव ने मिलकर रचा एकता, आस्था व संस्कृति का भव्य उत्सव – जहाँ विरासत ने नवचेतना से हाथ मिलाया, और पुरानी दूरियाँ मिटाकर समाज ने अपनाया नई शुरुआत का संदेश

🌺 माँ बालकुवारी की पूजन परंपरा – नई पीढ़ी के साथ संस्कृति का पुनर्जागरण 📍स्थान: सुतारगांव पौडी गढ़वाल उत्तराखंड 🪔 परिचय: परंपरा से जुड़...