Wednesday, July 9, 2025

🌸 माँ बालकुवारी की महिमा: जब नई पीढ़ी ने थामा परंपरा का ध्वज, और गाँव ने मिलकर रचा एकता, आस्था व संस्कृति का भव्य उत्सव – जहाँ विरासत ने नवचेतना से हाथ मिलाया, और पुरानी दूरियाँ मिटाकर समाज ने अपनाया नई शुरुआत का संदेश





🌺 माँ बालकुवारी की पूजन परंपरा – नई पीढ़ी के साथ संस्कृति का पुनर्जागरण

📍स्थान: सुतारगांव पौडी गढ़वाल उत्तराखंड


🪔 परिचय: परंपरा से जुड़ती एक नई रेखा

गढ़वाल की पुण्यभूमि में स्थित सुतार गांव का माँ बालकुवारी मंदिर केवल आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि परंपराओं, रीतियों और लोक संस्कृति की जीवंत मिसाल है। वर्षों से यहाँ हर साल माँ बालकुवारी की पूजा श्रद्धा से होती रही है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस परंपरा ने एक नया मोड़ लिया है।

पिछले तीन वर्षों से, इस पूजा को पूरी निष्ठा और संगठन के साथ नई पीढ़ी द्वारा सँभाला जा रहा है। एक नई मंदिर समिति का गठन हुआ है — जिसमें गाँव के युवा लड़के और लड़कियाँ मिलकर यह आयोजन कर रहे हैं। यह समिति केवल पूजा करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य है:
👉 "नई पीढ़ी को अपनी संस्कृति, रीति-रिवाज और लोक परंपराओं से जोड़ना।"

नई सोच, नई समिति – परंपरा का नव जागरण

"ये पूजा अब सिर्फ धार्मिक कर्मकांड नहीं —
बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण है।"


🎉 सम्मान और स्वागत

 

पूरे आयोजन में असगढ़ गाँव से आए विशेष अतिथियों का भी गर्मजोशी से स्वागत किया गया। यह सिर्फ पूजा नहीं, दो समुदायों के बीच सांस्कृतिक मिलन था।

🌸 पूजा के प्रमुख कार्यक्रम – श्रद्धा और लोकजीवन का संगम

पूजा तीन दिवसीय आयोजन के रूप में होती है, जिसमें शामिल होते हैं:

  • गस पूजन – भक्ति से भरा पहला दिन

  • कलश यात्रा – गाँव भर में पवित्र कलश का भ्रमण

  • देव स्नान – मंदिर और मूर्तियों का पवित्र स्नान

  • मंदिर का ध्वज (द्वाजा) लाना – पवित्रता और विजय का प्रतीक

  • गढ़वाली मंडाण – लोकगीत, नृत्य, संस्कृति की संध्या

  • जागरण व हवन – रात्रि जागरण, मंत्रोच्चारण और यज्ञ


👏 विशेषता – दिशा ध्यानियोऔर अतिथियों का स्वागत

इस वर्ष की पूजा में एक विशेष पहल रही — "दिशा ध्यानियो" (गाँव की विवाहित बेटियाँ) को उनके मायके आमंत्रित किया गया। उनके लिए पारंपरिक गढ़वाली व्यंजन 'अर्से' बनाए गए। साथ ही, असगढ़ गाँव से आए मेहमानों का भी उत्साहपूर्वक अभिनंदन हुआ।

"जब बेटी मायके आती है, तो माँ की पूजा और भी पूर्ण हो जाती है।" 

 


👥 समिति की शक्ति – गाँव के युवा और युवतियों का समर्पण

पूरे आयोजन की जिम्मेदारी "मंदिर समिति सुतार गांव" द्वारा पूरी निष्ठा से निभाई गई।
इन सभी ने मिलकर न केवल एक धार्मिक परंपरा को जीवित रखा, बल्कि गाँव के हर कोने में सांस्कृतिक चेतना और एकता का संचार किया।


🔹 समिति के पुरुष सदस्यगण:

सुरजीत रावत, राजपाल रावत, आशीष रावत, विकास रावत , सुनील नेगी , सुनील गुसाईं,  महेंद्र सिंह रावत,अशोक रावत, दीपक रावत, राहुल रावत, अमित रावत, सुमित डंगवाल, संदीप रावत, प्रदीप रावत, अरविंद रावत, हेमंत रावत, आकाश नेगी, भारत नेगी, आयुष रावत, अमन नेगी, प्रमोद रावत, अंकित रावत,सागर नेगी,शुभम रावत,लक्की रावत,शुभम नेगी(मुन्ना) ,कैलाश सिंह रावत,प्रकाश सिंह रावत,विमल रावत,संजय सिंह रावत,अमित नेगी


🔹 समिति की महिला सदस्यगण:

विनीता रावत, रचना रावत, सिमरन रावत, प्रीति नेगी, शिवानी रावत (रिम्मी), साक्षी रावत, शालिनी रावत, प्राची रावत,अनन्या नेगी,अदिति रावत 


🌸 “यह समिति सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि माँ बालकुवारी के प्रति अटूट श्रद्धा और अपनी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ाव का प्रतीक है।”


📸 तस्वीरों में माँ की महिमा की झलकियां

🛕 माँ बालकुवारी मंदिर का दिव्य दृश्य 







🏺 कलश यात्रा की पावन झलक







🚩 ध्वज (द्वाजा) लाते हुए श्रद्धालु










🌼 पूजन स्थल की साज-सज्जा और भक्ति भाव






💧 देव स्नान की अद्भुत छवि






🎉 आयोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम की झलकियां

💃 गढ़वाली मंडाण में झूमते श्रद्धालु










🌙 जागरण की रात्रि — भक्ति में डूबा वातावरण










🔥 हवन यज्ञ की पवित्र अग्नि






🙏 दिशा ध्यानियो का पारंपरिक स्वागत




















👥 समिति और युवाओं की भागीदारी

🤝 मंदिर समिति सुतार गांव   के समर्पित सदस्य










🌱 नई पीढ़ी के साथ संस्कृति का जागरण











🤗 सामूहिक सहयोग और गाँव की एकता



















🍽️ अर्से और पारंपरिक व्यंजन की प्रस्तुति



















📲 Reel देखना न भूलें!

🙏 Instagram पर माँ बालकुवारी की इस पावन यात्रा की झलकियां देखने के लिए ज़रूर विज़िट करें:
➡️ 

https://www.instagram.com/the_garhwal_zone_?igsh=djYydnlnbGVxNm0x


🔚 समापन वाणी:

“माँ की पूजा तब पूर्ण मानी जाती है जब उस पूजा में संस्कृति जीवित हो, बेटियों का सम्मान हो और नई पीढ़ी उस परंपरा को संजोकर आगे बढ़ाए।”


"जहाँ सेवा भाव हो, वहाँ माँ स्वयं निवास करती हैं।

            सुतार गांव की इस समर्पित समिति को सादर वंदन।" 🙏 





जय माँ बालकुवारी! 🙏
जय देवभूमि उत्तराखंड! 🕉️











🌸 माँ बालकुवारी की महिमा: जब नई पीढ़ी ने थामा परंपरा का ध्वज, और गाँव ने मिलकर रचा एकता, आस्था व संस्कृति का भव्य उत्सव – जहाँ विरासत ने नवचेतना से हाथ मिलाया, और पुरानी दूरियाँ मिटाकर समाज ने अपनाया नई शुरुआत का संदेश

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